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सहज़ कहानी किसे कहते है
सहज कहानी
सहज कहानी आंदोलन अमृत राय के द्वारा शुरू किया गया था| इसके मूल्य में यह उद्देश्य था कि कहानी की खोई हुई सहायता को फिर से बहाल किया जाए उसे सहेजा जाये| सहरसा का व्याख्या करते हुए वे लिखते हैं:-" मोटे रूप में इतना ही कह सकते हैं कि सहज वह है- जिसमें आडंबर नहीं है, बनावट नहीं है, ओढ़ा हुआ मैनरिज्म नहीं है या मुद्रा दोष नहीं है, आईने के सामने खड़े होकर आत्मरती के भाव से अपने ही यंग प्रत्यंग को अलग अलग कोणों से निहारने का मोह नहीं है, किसी का अंधाअनुकरण नहीं है" वस्तुतः अमृतराय अपने इस आंदोलन के माध्यम से सादगी के सौंदर्य शास्त्र को कहानी में स्थापित करना चाहते थे| यहां ध्यान देने की बात है कि अमृत राय प्रेमचंद्र के पुत्र हैं उनका सारा जोर कहानी को सहज एवं प्रभावित करने पर था| परंतु यह आंदोलन अधिक नहीं चल पाया है|
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