सक्रिय कहानी
राकेश वर्षिक के द्वारा शुरू किया गया था। उन्होंने अपनी पत्रिका मंच 79 के माध्यम से सक्रिय कहानी आंदोलन को प्रस्तुत किया। इस कहानी के कहानीकार जिन्होंने इस आंदोलन में पूर्ण सहयोग दिया चित्रा मुद्गल, रमेश बत्रा, स्वदेश दीपक आदि हैं। यह वह दौर था जब की साहित्य जगत में आम आदमी के संघर्ष को दिखाया जा रहा था। जबकि राकेश वत्स से अब इस आंदोलन में उस आम आदमी के संघर्ष की के सक्रिय एवं संगठित करते हुए प्रस्तुत करते कर रहे हैं। सक्रिय कहानी की अवधारणा पर रख राकेश वत्स लिखते हैं " सक्रिय कहानी का सीधा मतलब है आम आदमी के चित्रात्मक ऊर्जा और जीवंतता की कहानी। उस समाज, एहसास और बोध की कहानी जो आम आदमी की वेवसी वैचारिक निहत्थेपन एवं नपुंसकता से निजात दिल कर पहले स्वयं अपने अंदर की कमजोरियों के खिलाफ खड़े होने के लिए खड़ा करने की जिम्मेवारी अपने सिर पर लेते हैं"। यह कहानी आंदोलन संघर्षरत मनुष्य के शोषण से मुक्ति दिलाना चाहता है|और शोषण से यह मुक्ति हैं चरण परिणीति है| सक्रिय कहानी के प्रमुख कहानी रमेश बत्रा की जंगली जुगराफिया, कुमारसंभव की आखरी मोड, राकेश वत्स की काले पेड़, सुरेंद्र सुकुमार की उनकी फैसला जैसी कहानियां हैं। यह कहानी आंदोलन शुरुआती चरण में अपनी पहचान तो कर पाता है, किंतु लंबे समय तक नहीं चल पाता है क्योंकि, इसमें वैचारिकता तो है लेकिन, रचनात्मकता का आकलन नहीं है।
यह हिंदी साहित्य का ब्लॉग है। जो की यूपीएससी के वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य के सिलेबस पर आधारित है। जो विद्यार्थी यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं तथा जो वैकल्पिक विषय के रूप में हिंदी साहित्य रखते है, उन सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। धन्यवाद
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आलोचना को परिभाषित करें
आलोचना का तात्पर्य है, किसी वस्तु, रचना या कृति का मूल्यांकन करना| किसी भी रचना को समझने के लिए आलोचना को समझना आवश्यक है| बिना आलोचना...
-
यह साहित्य की वह विधा है जिसमें लेखक किसी स्थान की यात्रा का वर्णन करता है |और यह वर्णन रोचक होता है| वर्णन के दौरान लेखक किसी स्थान के इ...
-
आलोचना की शुरुआत वास्तविक तौर से आधुनिक या भारतेंदु युग से माना जाता है| यही वह समय है,जब साहित्य में विभिन्न विधाओं का जन्म हो रहा है| आल...
-
हिंदी साहित्य में विधाओं को ज्ञान इंद्रियों के द्वारा ग्रहण करने के आधार पर दो रूपों में विभाजित किया जाता है श्रव्य तथा दृश्य। ऐसी विधा ...
No comments:
Post a Comment