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डायरी किसे कहते है


डायरी में रोज के अनुभवों, घटनाओं और प्रतिक्रियाओं को कोई लेखक जब लिखता है तो उसे डायरी नामक विधा का जन्म होता है| इस विधान में संस्मरण ,रेखाचित्र,निबंध,यात्रा-वृतांत आदि सभी अनुभव एक साथ घुलमिल जाते हैं|डायरी किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति होती है, किंतु जब डायरी को प्रकाशित कर दी जाती है तो वह सामान्य पाठक के लिए भी उपलब्ध हो जाता है|और इससे निजीपन समाप्त हो जाती है| और साहित्य संसार की एक संपत्ति बन जाती है |कोई भी डायरी कितनी अधिक लोकप्रिय है,यह लेखक की महानता या लोकप्रियता पर निर्भर होता है, यदि किसी व्यक्ति विशेष के निजी जीवन में झांकना हो तो उसकी डायरी के पन्ने सबसे महत्वपूर्ण  साबित होती है|डायरी के सिर्फ तिथि क्रम का ही उल्लेख नहीं करते हैं बल्कि यह एक ऐसी विधा है जिसके माध्यम से हम व्यक्ति विशेष के निजी अनुभव, उसकी प्रतिक्रियाओं और उसकी रुचियां से भी अवगत हो सकते हैं | लेखक की अनुभूतियों की छाप डायरी मे सदैव बनी होती है |स्वतंत्र रूप से डायरी साहित्य की रचना हिंदी में अधिक मात्रा में नहीं हुई है| इसकी संख्या अन्य स्वतंत्र विधाओं की अपेक्षा कम है| घनश्याम दास बिड़ला का प्रकाशन "डायरी के पन्ने" नाम से हुआ इसी प्रकार धीरेंद्र वर्मा की "मेरी कॉलेज की डायरी" से साहित्यिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलती है| मुक्तिबोध की रचना एक "साहित्य डायरी "में लेखक के संघर्ष और तनाव को देखा जा सकता है| मोहन राकेश की डायरी में उनके जीवन संघर्ष को देखा जा सकता है |

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