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पत्र लेखन किसे कहते है


पत्र लेखन, लेखन की एक साहित्य  की नई  विधा है| इसके अंतर्गत एक व्यक्ति द्वारा लिखे गए पत्र को प्रकाशित किया जाता है| एक व्यक्ति जब दूसरे व्यक्ति को पत्र लिखता है तो वह बिना दुराव के अपने मन की बात को खोल कर लिखता है| इन पत्रों को जब वह लिख रहा होता है तो यह भी होता है, कि वह इसे सार्वजनिक रूप से छपवाने के इरादे से ना लिख रहा है, परंतु वह व्यक्ति भविष्य में इतना महत्वपूर्ण हो जाता है, कि उसका पत्र साहित्य संसार के लिए मूल्यवान धरोहर बन जाते हैं| साहित्य के द्वारा व्यक्ति के निजी अनुभव, प्रतिक्रिया और किसी व्यक्ति विशेष पर उसके विचार को काफी हद तक जाना जा सकता है| कई बार यह पत्र किसी ऐसी घटना के विषय में भी महत्वपूर्ण जानकारी का स्रोत बन जाता है जैसे- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जेल में थे तो, अपनी पुत्री इंदिरा गांधी को ज्ञान देने के लिए अनेक पत्र लिखें| इन पत्रों को एक पुस्तक के रूप में "पिता के पत्र पुत्री के नाम" से प्रकाशित किया गया| कई बार पत्र विभिन्न साहित्यकारों के बीच में संवाद के रूप में चलता रहता है| और बाद में चलकर इन पत्रों का संपादन एक दूसरा साहित्यकार संकलन करके दूसरे पुस्तक के रूप में प्रकाशित करता है| जैसे- पदम सिंह शर्मा के पत्रों का संपादन बनारसीदास चतुर्वेदी ने किया है| केदारनाथ अग्रवाल और राम विलास शर्मा के एक दूसरे को लिखे गए पत्र "मित्र संवाद" के नाम से प्रकाशित हुए हैं| इसी प्रकार विवेकानंद के पत्रों का संकलन "विवेकानंद पत्रावली" के नाम से प्रकाशित किया गया है|






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