कहानी गद्य की एक विधा है इस विधा में लेखक जीवन के किसी प्रसंग की घटना या किसी मन:स्मृति का वर्णन कर रहा होता है| और यह वर्णन अपने आप में पूर्ण होता है, इस वर्णन में रचनाकार न केवल परिस्थितियां के बारे में बताता है| बल्कि, कथानक के माध्यम से कुछ उद्देश्यों की पूर्ति कर रहा होता है| वस्तुतः कहानी एक आख्यान होता है जिसकी आकार छोटा होता है पाठक की मन: स्थिति पर संवन्वित प्रभाव डालता है, यद्यपि कई आलोचकों का यह भी मानना है कि आजकल की कहानी आकार में लंबी होती है| अतः यह परिभाषा कहानी पर पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सकता|
कहानी के मूल्यांकन या रचना कहानी के तत्व के आधार पर किया जाता है यह कहानी के निम्नलिखित तत्व है :-
1. कथानक
कहानी का कथानक का तात्पर्य है| किसी प्रसंग का वर्णन करना इसमें जीवन के केवल एक अंश का वर्णन होता है इसमें किसी घटना का चित्रण भी शामिल होता है|
2. पात्र का चरित्र चित्रण
किसी भी कहानी में कई पात्र होते हैं यद्यपि पात्रों की संख्या सीमित होती है पात्र दो प्रकार के होते हैं वर्गीय पात्र एवं विशिष्ट पात्र| वर्गीय पत्र किसी विशिष्ट वर्ग का प्रतिनिधि होता है जैसे - श्रमिक, कृषक, पूंजीपति, उच्च, शोषक आदि वर्ग| दूसरे प्रकार के पात्र विशिष्ट पात्र होता है जिसकी अपनी निजी विशेषता होती है यह पात्र कुछ अलग गुण या दोष के आधार पर पहचाना जाता है|
3. संवाद
कहानी के पात्र आपस में बात चित्र करते हैं इस बात चित्र से कहानी रोचक बन जाती है साथ ही संवादों के माध्यम से ही एक पाठक पात्रों के विशेषताओं को जान सकता है| चुकी कहानी का आकार छोटा होता है इसलिए कहानी का संवाद अपेक्षाकृत लंबा नहीं होना चाहिए|
4. देश/काल/वातावरण/परिवेश
कहानी मे जैसा कथानक होता है वातावरण का चित्रण भी उसी के अनुरूप होना चाहिए यह वातावरण इतिहासिक राजनैतिक सामाजिक विभिन्न प्रकार का हो सकता| है और पूरी की पूरी कहानी इस वातावरण में संपन्न होती है|
5. भाषा
कहानीकार कथानक तथा परिवेश के अनुरूप विभिन्न शैलियों में कहानी को कहता है| और लेखक इन कहानियों के कथानक के अनुसार सरल या अलंकृत भाषा का प्रयोग करता है भाषा के प्रयोग के माध्यम से ही पात्र की वर्ग का पहचान होती है|
6. उद्देश्य
कहानीकार कहानी का उद्देश्य कलात्मक ढंग से जीवन की व्याख्या कर देना बताता है| कई बार कहानीकार अपने कहानियों के माध्यम से सामाजिक या नैतिक मूल्य का स्थापना करना होता है या किसी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक समस्या की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर आकर्षित करता है या किसी परिस्थितियां पर व्यंग कर रहा होता है या अपने पाठक का मनोरंजन रहा होता है |
कहानी के मूल्यांकन या रचना कहानी के तत्व के आधार पर किया जाता है यह कहानी के निम्नलिखित तत्व है :-
1. कथानक
कहानी का कथानक का तात्पर्य है| किसी प्रसंग का वर्णन करना इसमें जीवन के केवल एक अंश का वर्णन होता है इसमें किसी घटना का चित्रण भी शामिल होता है|
2. पात्र का चरित्र चित्रण
किसी भी कहानी में कई पात्र होते हैं यद्यपि पात्रों की संख्या सीमित होती है पात्र दो प्रकार के होते हैं वर्गीय पात्र एवं विशिष्ट पात्र| वर्गीय पत्र किसी विशिष्ट वर्ग का प्रतिनिधि होता है जैसे - श्रमिक, कृषक, पूंजीपति, उच्च, शोषक आदि वर्ग| दूसरे प्रकार के पात्र विशिष्ट पात्र होता है जिसकी अपनी निजी विशेषता होती है यह पात्र कुछ अलग गुण या दोष के आधार पर पहचाना जाता है|
3. संवाद
कहानी के पात्र आपस में बात चित्र करते हैं इस बात चित्र से कहानी रोचक बन जाती है साथ ही संवादों के माध्यम से ही एक पाठक पात्रों के विशेषताओं को जान सकता है| चुकी कहानी का आकार छोटा होता है इसलिए कहानी का संवाद अपेक्षाकृत लंबा नहीं होना चाहिए|
4. देश/काल/वातावरण/परिवेश
कहानी मे जैसा कथानक होता है वातावरण का चित्रण भी उसी के अनुरूप होना चाहिए यह वातावरण इतिहासिक राजनैतिक सामाजिक विभिन्न प्रकार का हो सकता| है और पूरी की पूरी कहानी इस वातावरण में संपन्न होती है|
5. भाषा
कहानीकार कथानक तथा परिवेश के अनुरूप विभिन्न शैलियों में कहानी को कहता है| और लेखक इन कहानियों के कथानक के अनुसार सरल या अलंकृत भाषा का प्रयोग करता है भाषा के प्रयोग के माध्यम से ही पात्र की वर्ग का पहचान होती है|
6. उद्देश्य
कहानीकार कहानी का उद्देश्य कलात्मक ढंग से जीवन की व्याख्या कर देना बताता है| कई बार कहानीकार अपने कहानियों के माध्यम से सामाजिक या नैतिक मूल्य का स्थापना करना होता है या किसी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक समस्या की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर आकर्षित करता है या किसी परिस्थितियां पर व्यंग कर रहा होता है या अपने पाठक का मनोरंजन रहा होता है |
No comments:
Post a Comment