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रिपोर्ताज किसे कहते है

रिपोर्ताज आधुनिक गद्य की एक नवीन विधा है। रिपोर्ताज विधा पत्रकारिता से जुड़ा है। रिपोतार्ज शब्द मूल रूप से फ्रेंच भाषा का शब्द है।रिपोर्ताज आज का संबंध वर्तमान से होता है और इसके माध्यम से यथार्थ की अभिव्यक्ति होती है। रिपोर्ट को कलात्मक अभिव्यंजना के साथ प्रस्तुत करना रिपोर्ताज है। और यह एक साहित्य की विधा के रूप में जानी जाती है। इसमें रचनाकार किसी घटना या दृश्य को जैसे अकाल, युद्ध, महामारी आदि को अत्यंत नजदीक से देखता है, और इस दौरान वह जनता के संवेदना से भी अवगत होता है। रचनाकार इन तथ्यों का वर्णन तटस्थ होकर नहीं करता है। बल्कि मानवीय संवेदना के अनुकूल करता है किसी भी घटना की प्रमाणिकता को सुरक्षित रखते हुए उसे संवेदनशील रूप से प्रस्तुत करना रिपोर्ताज लेखक का उद्देश्य होता है। यहां ध्यान देने की बात है, कि रिपोर्ट सूचनात्मक होती है जबकि रिपोतार्ज में किसी घटना का वर्णन लेखक के व्यक्तित्व से जुड़ जाता है। रिपोतार्ज  की शुरुआत १९३७ में होती है। शिवदान सिंह चौहान का रिपोर्ताज "लक्ष्मीपुरा"1938 ई. में "रूपाभ" पत्रिका में और शिवराज सिंह चौहान का ही एक दूसरा रिपोर्ताज "मौत के खिलाफ जिंदगी की लड़ाई" हंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। रांघेय राघव ने अपनी रिपोर्ताज "तूफानों के बीच" जो 1946 में प्रकाशित होती है कि इससे द्वारा बंगाल की अकाल का मर्मस्पर्शी वर्णन किया| और इसमें उन्होंने यह भी बताया कि अकाल कोई प्राकृतिक घटना नहीं यह एक सामाजिक घटना का दूसरा चरण है| फणीश्वर नाथ रेणु ने अपनी रिपोर्ताज "नेपाली कथा" में नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के लिए होने वाले आंदोलन का वर्णन किया है| इसी प्रकार अपने दुसरे रिपोर्ताज में बिहार में पडने वाले सूखे का वर्णन किया है|धर्मवीर भारती ने अपनी रिपोर्ताज "युद्ध यात्रा" में पाकिस्तान के साथ होने वाले युद्ध का वर्णन किया है।

1 comment:

  1. अच्छा लेख है पर शिवदान सिंह चौहान है जिसे आपने शिवराज सिंह चौहान कर दिया है.

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